Dividend Meaning In Share Market In Hindi:
क्या होता है डिविडेंड , कौनसी कंपनिया डिविडेंड देती है, डिविडेंड कैसे मिल सकता है , डिविडेंड के फायदे क्या है, डिविडेंड कैसे प्राप्त करे और डिविडेंड कितने प्रकार के होते है ये सभी सवाल के जवाब इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताने वाले है तो इस आर्टिकल को ध्यान से पूरा पडियेगा |
शेयर मार्केट में डिविडेंड क्या होता है-what is dividend in share market in Hindi
दोस्तों डिविडेंड को हिंदी में लाभंस कहते है इसमें दो सब्द का उल्लेख किया गया है पहला लाभ और दूसरा अंश , लाभ को हम profit कहते है और अंश को हम part कहते है तो इस डिविडेंड का मतलब हुआ होने वाले profit का part , जिसे हम डिविडेंड कहते है |
जब भी कोई कंपनी (profit) मुनाफा कमाती है और ये decide करती है की उस मुनाफे के एक हिस्सा सारे शेयर होल्डर्स में बाट दिया जाये उस profit के हिस्से को डिविडेंड कहा जाता है हर प्रॉफिटेबल कंपनी के पास दो आप्शन होते है कंपनी या तो अपने पुरे प्रॉफिट को अपने बिजनेस में लगाने के लिए अपने पास रखले या प्रॉफिट का कुछ पार्ट रखकर बचा हुआ प्रॉफिट अपने शेयर होल्डर के बिच बाट दे प्रॉफिट का यही पार्ट जो कंपनी अपने शेयर होल्डर्स के बिच बाट देती है डिविडेंड कहलाता है |
उधारहण से समझते है : मानलो कोई कंपनी XYZ को साल 2020 में 100 करोड़ रूपए का प्रॉफिट होता है और XYZ कंपनी निर्णय करती है की वो हर शेयर पर 5% का डिविडेंड देगी और बचे हुए प्रॉफिट को अपने बिजनेस में लगाएगी अगर आपके डीमेट अकाउंट में XYZ कंपनी के हज़ार शेयर्स है तो आपको डिविडेंड में 5000 हज़ार रूपए मिलेंगे |
शेयर मार्किट में डिविडेंड कितने प्रकार के होते है ( type of dividend ) :
- interim dividend : interim dividend में दो एनुअल जनरल मीटिंग के बिच में डिविडेंड को quarterly dividend देने की घोषणा की जाती है और interim dividend साल में बार बार मिलता है तो इसे ही interim dividend कहा जाता है |
- proposed dividend : कंपनी के जो बोर्ड रिपोर्ट होती है उसमे बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर recommend करते है मानलो बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर ने प्रपोजल रखा है की इतना डिविडेंड देना चाहिए तो इसी को कहा जाता है proposed dividend |
- final dividend : फाइनल डिविडेंड वो डिविडेंड होता है जो साल में एक बार मिलता है और साल के अंत में एनुअल डिविडेंड देने की घोषणा की जाती है तो इसे ही final dividend कहा जाता है |
डिविडेंड को कैसे कैलकुलेट करते है (dividend calculation ) :
शेयर मार्केट में हर एक कंपनी की (face value) होती है और face value से ही इसका कैलकुलेशन किया जाता है क्योकि कंपनी के face value से ही dividend का कैलकुलेशन किया जाता है याद रहे की डिविडेंड का करंट मार्केट प्राइस से कोई लेना देना नहीं रहता है |

मानलो कोई टाटा कंपनी के कुछ शेयर है टाटा कंपनी की face वैल्यू 100 रूपए चल रही है और इसकी face वैल्यू 10 रूपए है यदि कंपनी ने 100% डिविडेंड की घोषणा की है तो इसका मतलब ये हुआ की प्रति शेयर 10 रूपए का डिविडेंड होगा और अगर यही कंपनी ने 50% डिविडेंड की घोषणा की होती तो प्रति शेयर 5 रूपए का डिविडेंड होता
डिविडेंड का पैसा किस खाते में आता है
दोस्तों जब भी आप किसी कंपनी के शेयर्स लगाते है वो कंपनी आपके ब्रोकरेज से बैंक डिटेल ले लेती है और पेमेंट फिर आपके खाते में डायरेक्ट डाल जाती है इसमें किसी प्रकार का फॉर्म भरने की जरुरत नहीं होती है और ना ही इसमें किसी प्रकार का टेक्स देना होता है आपके डिविडेंड का पैसा डायरेक्ट आपके खाते में चला जाता है |
कौनसी कंपनी डिविडेंड देती है :
दोस्तों डिविडेंड वो कंपनी देती है जो प्रॉफिट में होती है लोस में रहने वाली कंपनी कभी डिविडेंड नहीं देती और डिविडेंड ज्यादातर वैसी कंपनिया देती है जो बहुत बड़ी और मेचुअर हो जाती है क्योकि जब कंपनिया नयी होती है अपने बिजनेस को आगे बढाने के दौरान में होती है तो वो अपने सारे प्रॉफिट को अपने बिजनेस को बढाने में लगा देती है क्योकि कंपनी को पत्ता होता है की आज के प्रॉफिट को बिजनेस में लगाकर फ्यूचर में कंही ज्यादा प्रॉफिट कमा सकती है और इसमें फायदा इन्वेस्टर का ही होता है
क्योकि जब तक कंपनी अपने प्रॉफिट को सही जगह लगाकर अपना बिजनेस को बढाती जाएगी उसका प्रॉफिट भी बढता जायेगा और प्रॉफिट बड़ने से हमें दो फायदे होगे एक तो हमने जो शेयर ख़रीदे है उनके प्राइस बढेंगे और दूसरा फ्यूचर में कंपनी डिविडेंड देने का निर्णय लेती है तो आज के डिविडेंड से बहुत ज्यादा होगा क्योकि प्रॉफिट भी आज से कंही ज्यादा बड चूका होगा
दोस्तों ध्यान देनी वाली बात ये है की डिविडेंड देना या ना देना कंपनी के डायरेक्टर्स निर्णय लेते है अगर उन्हें लगता है की प्रॉफिट का उपयोग बिजनेस बढाने में कर सकती है तो वो कंपनी डिविडेंड नहीं देती है और अगर उन्हें लगता है की बिजनेस को बढाना थोडा मुश्किल है तो प्रॉफिट का पार्ट अपने शेयर होल्डर के बिच बाट देते है |
डिविडेंड के फायदे ( benefit of dividend ) :
- कंपनी के डिविडेंड पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं देना होता है इसलिए इसे टैक्स फ्री इनकम भी कहते है
- किसी भी निवेशको के लिए डिविडेंड एक passive income की तरह है होता है जिसमे आपको किसी प्रकार का फेर बदल नहीं करना पड़ता
- किसी कंपनी के मार्केट में शेयर का भाव का उसके डिविडेंड पर कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योकि कंपनी face वैल्यू पर आधारित डिविडेंड देती है
- डिविडेंड एक रेगुलर इनकम सोर्स है
- कंपनी टैक्स बचाने के लिए डिविडेंड अदा करती है ताकि निवेसको को फायदा मिल सके
डिविडेंड यील्ड क्या होता है ( what is dividend yield ) :
दोस्तों डिविडेंड यील्ड हमें ये बताता है की एक कंपनी साल भर में पर शेयर जितना डिविडेंड दिया है वो इस कंपनी के शेयर प्राइस का कितना % है
उधारहण : अगर कोई कंपनी का शेयर का करेंट प्राइस 100 रूपए है और कंपनी ने 7 रूपए पर शेयर का return दिया है तो कंपनी का डिविडेंड यील्ड हो जायेगा 7 /100 x 100 =7% इसका मतलब है की xyz कंपनी में इन्वेस्ट करने पर डिविडेंड इयरली 7% का return मिल सकता है वही अगर दूसरी कंपनी zx लिमिटेड का करंट प्राइस 90 रूपए है
और कंपनी साल भर में 9rs/ शेयर का return देती है तो कंपनी का डिविडेंड यील्ड हो जायेगा 9/90 x 100 =10% इसका मतलब है हमें zx लिमिटेड में इन्वेस्ट करने पर डिविडेंड में से जल्दी 10% का return मिल सकता है दोस्तों इसका मतलब ये समझो की कंपनी की शेयर प्राइस बढेगी तो डिविडेंड यील्ड घटेगा और कंपनी की शेयर प्राइस घटेगी तो कंपनी के डिविडेंड यील्ड बढेगी इसी वजह से कंपनी का डिविडेंड बहुत ज्यादा हो जाता है |
डिविडेंड की महत्वपूर्ण तारीखे (dividend important date ):
- dividend declaration date : इसमें डेट में कंपनी के director ये decide करते है की डिविडेंड कितना देना है किसे देना और कब देना है और जब भी डिविडेंड डिक्लेअर होता है उसे हम dividend declaration date कहते है |
- Ex- dividend date : अगर आपको डिविडेंड चाहिए उस कंपनी का जिसने announce किया है तो तो खास उस डेट पर नजर बनाकर रखना चाहिए इसलिए Ex- dividend date बहुत important होती है क्योकि अगर आप इस डेट पहले शेयर लेते हो तो ही आपको वो कंपनी डिविडेंड देगी अगर आप उस डेट पर या उस डेट के बाद शेयर खरीदते हो तो कंपनी आपको डिविडेंड नहीं देगी क्योकि Ex- dividend date जो है record date से पहले राखी जाती है |
- record date : जब भी कंपनी की रिकॉर्ड डेट होती है उस डेट के अन्दर आप का नाम कंपनी के शेयर होल्डर की लिस्ट में होना चाहिए क्योकि कंपनी अपने रिकॉर्ड बुक में देखती है ताकि आपको डिविडेंड मिले |
- payment date : दोस्तों इस डेट पर पैसा आपके खाते में आता है यानि की जो डिविडेंड कंपनी declare करती है और अपने शेयर होल्डर्स को डिविडेंड देती है अगर आपने ex- dividend से पहले शेयर लेकर रखे हुए है तो पैसा आपने बैंक अकाउंट में जरुर आता है |
डिविडेंड कैसे प्राप्त करे ( how to get dividend ) :
दोस्तों डिविडेंड लेने के लिए कुछ तारीखे होती है जो हमें ध्यान में रखना होता है –
1 record date : रिकॉर्ड डेट उस डेट को कहते है जिस डेट को आपका नामे कंपनी के रिकॉर्ड में शेयर होल्डर लिस्ट में होना चाहिए डिविडेंड देने वाली कंपनी रिकॉर्ड डेट को पब्लिकली घोषणा करती है अगर आपका नाम रिकॉर्ड डेट के दिन कंपनी शेयर होल्डर लिस्ट में नहीं है तो आपको उस टाइम का डिविडेंड नहीं मिलेगा |
2 ex dividend date : ex dividend date साधारण रिकॉर्ड डेट के एक दिन पहले होता है कोई कंपनी जैसे ही रिकॉर्ड डेट घोषित करती है ex dividend date उसके एक दिन पहले सेट हो जाता है अगर हमें किसी कंपनी के डिविडेंड चाहिए तो हमें उस कंपनी के शेयर्स को ex dividend date से पहले खरीदना होता है और अगर हम शेयर्स को ex dividend date के पहले तक नहीं खरीदते तो हमें उस टाइम का डिविडेंड नही मिलेगा |
दोस्तों कंपनिया साल में कितने बार भी डिविडेंड दे सकती है हर बार कंपनी एक रिकॉर्ड डेट घोषित करती है ताकि पब्लिक को पता चल सके की अगर उन्हें डिविडेंड लेना है तो कब तक शेयर को खरीदना होगा |
cum dividend और Ex. डिविडेंड क्या होता है
अगर आपको कंपनी के शेयर्स के डिविडेंड चाहिए तो आपको ये शेयर रिकॉर्ड डेट से 2 दिन पहले खरीदना होता है या ex date से 1 दिन पहले खरीदना होता है जिसे हम cum dividend डेट कहते है जो रिकॉर्ड डेट से 2 दिन पहले होती है वही अगर कंपनी एक निश्चित तारिक decide करती है और अगर उस डेट से पहले शेयर नहीं ख़रीदा तो डिविडेंड का लाभ नहीं मिलेगा तो उसे ex dividend कहते है |
डिविडेंड में टैक्स कितना देना होता है ( dividend tax ) :
दोस्तों जिनका income का 20% हिस्सा स्लिबरेट में आ जाता है तो जो डिविडेंड रहता है वो टैक्सेबल रहता है लेकिन रिटेन निवेशको के ऊपर किसी प्रकार का डिविडेंड टैक्स नहीं देना होता है कहने का मतलब ये है की जिसका ज्यादा डिविडेंड रहता है 20% के ऊपर उसे टैक्स देना होगा |
निष्कर्ष :
आज के इस पोस्ट में हमने जाना की शेयर मार्केट में डिविडेंड क्या होता है और डिविडेंड के क्या फायदे और डिविडेंड कैसे मिलता है तो दोस्तों किसी भी कंपनी में इन्वेस्ट करने से पहले एक अच्छा passive income के बारे में सोच रहे है तो डिविडेंड के बारे में समझना बहुत जरुरी होता है बहुत सारे फंडामेंटल एनालिसिस फेक्टर होते जिन्हें आपको ध्यान में रखना होता है क्योकि एक अच्छे प्रॉफिट की सुरुआत होती है एक अच्छे इन्वेस्टमेंट से तो डिविडेंड आप समझ गए की डिविडेंड क्या होता है उम्मीद करते है ये पोस्ट से आपको काफी नालेज मिली होगी इससे सब्बधित कोई सवाल या एवं सुझाव है तो आप कमेंट बॉक्स में बता सकते है |
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